नयनों की अतृप्त प्यास बरकरार,
सूरज डूबा दूर पहाड़ के पार.
मन की विरहा कर रही पुकार,
तलाशते किसी को दृष्टि के द्वार.
दूर कही बजते धीमे से साज,
सुनते है कर्ण वो दर्द भरे राग.
पास नहीं कोई सुनने को आवाज़,
हू मुसाफिर कितना तन्हा आज.
संध्या की ये हलकी परछाई,
याद आज किसी अपने की आई.
क्या खूब कहर ढाती ये तन्हाई,
गम की बजती हर ओर सहनाई.
धीरे-धीरे शाम है ढलने लगी,
गहरी होती अनबुझी प्यास मेरी.
पलकों पर अश्रु बुँदे बहने लगी,
दुनिया है बेवफा कहने लगी.
चारो ओर अँधेरा छाने लगा,
हर पंछी अपनी पनाह में आ गया.
धीरे से दिल ने मुझे कुछ कहा,
चल सो जा अब आंसू न बहा.
तुम बस रूह से हमें अपनाने लगो
13 years ago
wah.. oh really heart touching... best of luck yar.. nice..
ReplyDeleteawesome... heart touching..
ReplyDeletereally painful and heart touching..
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