Saturday, October 10, 2009

विफलता से ही सफलता..


प्रत्येक विचार को ह्रदय तराजू से तोल,
एक-एक पल का अनमोल है मोल.
मानव! मस्तिष्क के बंद कपाट तो खोल,
फिर सुख सरिता के निर्मल नीर में डोल.

मह्त्वाकान्क्षा सबकी प्राप्त हो लक्ष्य की सफलता,
जान लो प्रथम पग है इसका हतोत्साहित विफलता.
पार किया इसे मन में रही आश, पराजित की दुर्बलता,
स्पर्श करता है वही लक्ष्य के शिखर की चमत्कृत उज्जवलता.

हर पग में निराशाओ के घनघोर मेघ छाएंगे,
कदम-कदम पर काँटों से सजे पौधे घाव दे जायँगे.
तेरी हर राह पर तूफानों के कारवा महफ़िल सजायेंगे,
अनेक बाधाये अपने कठोर स्वरूप से परिचित तुझे कराएँगे.

सफल रहा वही जिसने हर रुकावट से हौसला लिया,
जिसने संघर्ष के समय खुद का आत्म साक्षात्कार किया.
ये मै नहीं कहता, इतिहास ने है सदैव सिद्ध किया,
जीता आखिर में वही, जिसने विफलता से सफलता का सृजन किया.

6 comments:

  1. हर पग में निराशाओ के घनघोर मेघ छाएंगे,
    कदम-कदम पर काँटों से सजे पौधे घाव दे जायँगे.
    तेरी हर राह पर तूफानों के कारवा महफ़िल सजायेंगे,
    अनेक बाधाये अपने कठोर स्वरूप से परिचित तुझे कराएँगे.
    waaah lucy ji waaah bahut hi sunder rachna hai..hats off for u ...apke blog par akar accha laga sab to nahi lekin kuch rachnaye padhi behad khoobsoorat hai ..koshis karoongi saari padhu

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  2. very gud bro... nice poem gud luck..

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  3. very gud poem lucky i like ur aal poems dear.. keep it up..

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  4. very nice ... gud poem and thought ful it is.. keep it up..

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  5. bahut sunder lucky....kafi aachi rachna hai dost...

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  6. hi lucky bahut behtarin rachna hai aapki.. kafi pasand aayi..

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