ह्रदय संवेदनावो को व्यक्त करना कठिन,
मस्तिष्क भावनावों की अभिव्यक्ति नामुंकिन.
व्यथा और विरहा के वो दर्दभरे पलछिन,
कैसे करे कलम बया बीते लम्हों के वो रातदिन.
समय के कालरेखा का दायरा बढा,
बैचेनी का नागवार अहसास घटा.
कुछ नए लोग मिले जरा सा ध्यान बटा,
पर नहीं स्मृतियों का वो सेज मिटा.
नए-नए चेहरों का दीदार होता है,
हर कोई कहानी का तलबगार होता है.
जूनून की हद तक कोई प्यार करे,
दोस्त ऐसा तो केवल एक बार होता है.
जाते-जाते जरुर मुझे वो रुला गया,
पर बहुत कुछ मुझे वो सिखा गया.
मै कर सकू व्यक्त जिन शब्दों को लेखनी से,
उन अहसासों की तिजोरी वो मुझे थमा गया.
तुम बस रूह से हमें अपनाने लगो
13 years ago
great.. gud.. very nice..
ReplyDeleteheart touching yar..
ReplyDeletepainful and hearttouchnig..
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