आज जरुरत है जिसकी,
कहा वो रोशनी मिलेगी.
अंधकार के सागर को चीर दे जो,
जाने कहा वो किरण मिलेगी.
खो गया आज ये देश,
बुराई के गहरे गर्त में.
भूल गया वो स्वर्णिम अतीत,
जो था इसकी महानता का प्रतिक.
कौन है जिम्मेदार कौन है गद्दार,
आखिर कौन है इसका कसूरवार.
कोई है गरीब है कोए अमीर,
आखिर किसने लिखी ये तक़दीर.
तुम आखिर कब जागोगे,
इस दाग को क्या तुम धो पाओगे?
इतने कमज़ोर हो क्या तुम,
जो हमशा केवल रोते रहोगे.
ज़रा निकलो आरामगाहों से अपने,
देखो औरों को आरामगाहों में उनके.
तुम क्या करोगे उनके वास्ते,
क्या बनावोगे उनकी तरक्की के रास्ते.
तुम नहीं अब हम जागेंगे,
एक नयी आशा की किरण लायेंगे.
दिन पुरे हुए अब तुम्हारे,
हम एक ए़सी महान सोच लायेंगे.
तुम बस रूह से हमें अपनाने लगो
14 years ago




awaking yar... nice ..
ReplyDeletevery nice yar... gud one..
ReplyDeletegud one dost..
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