Thursday, October 8, 2009

सोचा है?

सोचा है कभी दुनिया किसने बनायीं,
जीवन कि उम्मीद किसने जगायी.
कौन है जो देता इसे निर्देश,
आखिर मानती है ये किसका आदेश.

कब हुयी होगी इसकी शुरुवात,
कब पैदा हुयी जीवन कि आश.
कहा से आई जीवनदायनी हवा,
सोचो ये सब आखिर कब हुवा.

किसने बनायीं होगी ये कुदरत,
जो हमें दिखती है खुबसूरत.
गर्मी देती है जो ये धूप,
आखिर किसने बनाया इसका रूप.

जो बहती है ये कल-कल करती नदिया,
लगी होंगी इन्हे बनने में कितनी सदिया.
बने हैं जो उचे-उचे से पहाड़,
कौन है जिसने दिया इन्हे आकार.

दुनिया में है जो इतना पानी,
क्या है इसके प्रारंभ के निशानी.
फूल जो देते है मनमोहक सुगंध,
आखिर कैसे हुए ये उत्पन्न.

कभी होता है दिन कभी होती है रात,
क्यों होती है आखिर बरसात.
हम जो हैं सब मानव,
क्यों बन जाते है एक दिन शव.

क्या है इनका कोई उत्तर,
जो दे जानकारी हमे बेहतर.
ईश्वर ने बनाया है जो संसार,
क्या किसी को पता है इसका सार.

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