Thursday, October 8, 2009

छाया आपका जादू..

आपकी मुस्कान का ये कुछ जादू सा छाया है,
हर जर्रे-जर्रे ने ना पूछो क्या-क्या पाया है.
आपके पावन कदमों की जो ये आहट है,
हर परिंदा मांग रहा बहारो की दुआ, आपकी ही चाहत है.
भवरे को प्रेम की लगन, वो हो गया लौ पर फ़ना,
ईश्क है एक ऐसा बंधन, जो जग की हर रीत तोड़ बना.
दिल जो डूबा है इस खुशी के सागर में, उसे फिर है क्या कहना,
उसे मिल गया उसका खुदा, अब और इबादत से उसे क्या लेना.
प्यासी धरा को लम्बे अरसे बाद स्वाद मिला बारिश का,
बरसो की तमन्ना को दीदार मिला उसकी ख्वाहिश का.
कबके था जो बेघर पूरा हुवा सपना उसकी रिहाइश का,
ख़ुशी है उसे खत्म हुवा खेल उसके दर्द की नुमाइश का.
आज एक ख्वाब ने पा ली आखिर उसकी हकीकत,
एक भटकती सी रूह को जैसे मिल गयी अब फुरसत.
सदियों से जमा खुशियों के खजाने ने दी जैसे अपनी दस्तक,
शायद अब ह्रदय का मिलन हो आत्मा से, हो जाये बरकत.

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