जो बह चला वों, मेरा ही खून था,
रक्त वर्ण से लतपथ मिट्टी, मेरा ही जूनून था.
कतरे-कतरे ने निभाई पूरी वफ़ा,
जो अब हो गया फ़ना, मेरा ही सुकून था.
जिसके प्रकाश से उज्वल थी ये काया,
जो था मेरे सौन्दर्य व शरीर की छाया.
जिसने मुझे मेरी नश्वर आत्मा से मिलाया,
था वही जिसने मेरी मृत्यु को बुलाया.
जलती लौ की शमा बुझ गयी है,
मेरी भावनाओ कि लकडी भी जल गयी है.
तुम मत पुकारना उस खो गए मकाम को,
उसकी हस्ती आज धुल में धूसरित हो गयी है.
जो बह चला वों, मेरा ही खून था,
रक्त वर्ण से लतपथ मिट्टी, मेरा ही जूनून था.
कतरे-कतरे ने निभाई पूरी वफ़ा,
जो अब हो गया फ़ना, मेरा ही सुकून था.
तुम बस रूह से हमें अपनाने लगो
13 years ago
bahut khub lucky... kafi behtrin kawita hai..
ReplyDeletevery nice ... keep it up dost..
ReplyDeletenice dude .. keep it up..
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