
मेरे देश का एक-एक कण महान, मेरे वतन का अमिट है निशान,
जिसकी हर लहू बूद में वीरों की कुर्बानी, कुछ ऐसी बुलंद है इसकी शान.
कई तूफान बरसे पूरी लगा दी जान, पर नहीं मिटा कभी इसका अमर जहान,
कोशिश की जब भी करने की इसको वीरान, अनेकों वीर हुए देशभक्ति पथ पर कुर्बान.
जिसका हर जर्रा-जर्रा एक वरदान, जिसके उदगम स्थल पर पुराणों का अनमोल ज्ञान,
जिस धरा का स्थिर रहा सदा इमान, जिसके खिले-खिले फूलों पर सुंगंध दे रहे कुरान.
वीरों ने सदा दी इसको नयी पहचान, जब जरुरत पड़ी शहीद हुआ हर एक नौजवान,
जरुर पुरे होंगे इसके मंजिल फतेह के अरमान, रक्त में जिसके कई अमर देशभक्तों की जान.
अनेक महापुरुषो का हम पर है अहसान, कल्पना थी जिनकी बने ये देश महान,
जिन्होंने लुटाया अपने एक-एक पल का मान, जरुरत पड़ी तो कर दी अपनी हस्ती बलिदान.
उनकी आत्मा आज कह रही जरा दो तो ध्यान, क्या पुरे करोगे हमारे सपने जो बैठे हो तुम सुनसान?
क्या नहीं तुम्हारे लहू में हमारी पहचान, क्यों बैठे हो तुम सब ओढे चादर अज्ञान?
भूल गए शहीदों की शहादत व बलिदान, जो भूल अपनों को हुए शहीद बचायी हमारी जान,
भूल गए आजाद को? याद नहीं भगत सिंह महान? भूल गए तुम इंकलाब-जिंदाबाद की जबान.
अपने सपने दे हमें हो गए कुर्बान, सौपी अपने विचारों की विरासत, मिटा दी जिन्होंने अपनी शान,
आज उनका कतरा-कतरा मांग रहा अपने निशान, उठो तुम और कर दो हर बुराई का कत्लेआम.