Monday, November 9, 2009

हर कोई बेईमान दिखता है..



हर कोई मुझे बेईमान लगता है, हर कोई मुझे परेशान दिखता है,
हर कोई बेच रहा अपना इमान, नज़ारा ये खुले आम दिखता है.
किसी भी मोड़ पर जाऊ कही, तो हर शख्स हैरान दिखता है,
बदल गयी शायद इंसानियत, हर किसी के दिल मै एक शैतान दिखता है.

राख भी नहीं मिलती एक कत्लेआम लगता है, ईमानदारी का हो गया काम तमाम लगता है,
दूर-दूर तक सत्य का निशान नहीं, इसकी भूमि का मर गया किसान लगता है.
अहिंसा की बाते किताबों की पंक्तिया बनी, इसके विचारों का संग्रहालय सुनसान लगता है,
प्रेम भाईचारे के राह पर काँटो की झाड़िया उगी, अ़ब कुछ ही दिनों का ये मेहमान लगता है.

झूठे और दगाबाज़ पहुंचे है शासन पर, सच्चे इन्सान को जो एक सपना बेईमान लगता है,
आम जानता में है एकता की कमी, इनका हाल मुझे लहूलुहान लगता है.
गरीब को ना शिक्षा ना ही अवसर, देश का ये सबसे बड़ा अभिशाप दिखता है,
पर हम बढ़ रहे निरंतर प्रगति के ओर, हमारी सरकार का ये बयान मुझे धोखेबाज़ लगता है.

हर कोई मुझे बेईमान लगता है, हर कोई मुझे परेशान दिखता है,
हर कोई बेच रहा अपना इमान, नज़ारा ये खुले आम दिखता है.
किसी भी मोड़ पर जाऊ कही, तो हर शख्स हैरान दिखता है,
बदल गयी शायद इंसानियत, हर किसी के दिल मै एक शैतान दिखता है.

1 comment:

  1. बहुत बढ़िया रचना..लिखते रहिये. बधाई.

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