Monday, December 28, 2009

आज स्वाभिमान को जैसे जंग लगा


आज स्वाभिमान को जैसे जंग लगा,
ईमानदार अभिलाषा पर व्यंग बना.
मिट्टी में बेईमानी का काला रंग मिला,
नौनिहाल का चेहरा नफरतों के संग खिला.

सत्य की राह का कोना तंग और तंग हुआ,
आमजन का देशप्रेम से आज मोहभंग हुआ.
सत्ता की ताकत का लाचारों पर दंभ दिखा,
जिधर दृष्टि फेरों शिकवों का लाल रंग दिखा.

आलिशान भवनों में महफिलों का सेज सजा,
किसी की रातों को खुले आसमान का दहेज़ मिला.
उसके मुखपटल पर क्या कभी तेज खिला,
बचपन से जिसे दर-दर की ठोकरों का देश मिला.

इस बेहाल वतन की महानता का गीत सुना,
कई वीरों की वीरता का यशस्वी संगीत सुना.
वतन की चाह में उनका हर पल था व्यतीत हुआ,
बलिदान उनकी प्रेमिका, शहादत उनका मीत हुआ.

एक-एक पग से आज याद उनका जूनून हुआ,
हम सब में कही ना कही उनका अंश यकीन हुआ.
मेरे अंतरमन को अनजाना सा सुकून मिला,
पर समझ ना आया कहा से बेईमानी का ये खून मिला.

5 comments:

  1. सादर वन्दे
    आज के युग में ऐसी कविता लिखना ....... आप बधाई के पत्र हैं,
    ऐसे ही लिखते रहें, इसी कमाना के साथ.
    रत्नेश त्रिपाठी

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  2. जबरदस्त रचना!!

    बहुत उम्दा...

    यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

    हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

    मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

    नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

    आपका साधुवाद!!

    नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!

    समीर लाल
    उड़न तश्तरी

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  3. वतन की चाह में उनका हर पल था व्यतीत हुआ,
    बलिदान उनकी प्रेमिका, शहादत उनका मीत हुआ.

    इन शहादत प्रेमियों की बदौलत ही चैन की नींद सोते हैं हम ...मगर उनकी शहादत को व्यर्थ जाते देख मन रोता भी बहुत है ...!!

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  4. इन शहादत प्रेमियों की बदौलत ही चैन की नींद सोते हैं हम ...मगर उनकी शहादत को व्यर्थ जाते देख मन रोता भी बहुत है ...!!

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  5. waah.... shandar rachna.. likhte rahiye :)

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